written by SHILPI
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अभिलाषा है उडने की.......
उडकर आकाश को छुने की,
दुनिया मुटृठी मे करने की ,
कुछ अपना हासिल करने की,
अन्न्तरमन ने है दी आवाज..
तू भर उडान..तू भर उडान !!
तू चुन एक राह यथार्थ का ,
जो हो तेरे स्वाभिमान का ,
तेरे एक नये पहचान का ,
अन्न्तरमन ने है दी आवाज..
तू भर उडान..तू भर उडान !!
तू क्यो डरी है ?क्यो सहमी है?
किन जंजीरो मे जकडी है?
तोड दे उन बेडियो को,
अन्न्तरमन ने है दी आवाज..
तू भर उडान..तू भर उडान !!
तू द्रृढ हो जा..एक निश्चय कर ले,
मन मे थोडा साहस भर ले
अन्न्तरमन ने है दी आवाज..
तू भर उडान..तू भर उडान !!
तू रख दे उस धरातल पर कदम,
जो है तेरे सपनो का शहर,
तू पा ही लेगी ओ अपना लक्ष्य,
अन्न्तरमन ने है दी आवाज..
तू भर उडान..तू भर उडान !!
तुझमे है सच्चाई और लगन,
इच्छाशक्ति भी तेरी लगती है प्रबल,
मन की तू लगती है अडिग ,
होगा तेरा अब पुर्नजन्म ,
अन्न्तरमन ने है दी आवाज..
तू भर उडान..तू भर उडान !!
........SHILPI
silpiswati.blogspot.in
www.facebook.com/silpisandy.gupta
https://twitter.com/silpiswati
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उडकर आकाश को छुने की,
दुनिया मुटृठी मे करने की ,
कुछ अपना हासिल करने की,
अन्न्तरमन ने है दी आवाज..
तू भर उडान..तू भर उडान !!
तू चुन एक राह यथार्थ का ,
जो हो तेरे स्वाभिमान का ,
तेरे एक नये पहचान का ,
अन्न्तरमन ने है दी आवाज..
तू भर उडान..तू भर उडान !!
तू क्यो डरी है ?क्यो सहमी है?
किन जंजीरो मे जकडी है?
तोड दे उन बेडियो को,
अन्न्तरमन ने है दी आवाज..
तू भर उडान..तू भर उडान !!
तू द्रृढ हो जा..एक निश्चय कर ले,
मन मे थोडा साहस भर ले
अन्न्तरमन ने है दी आवाज..
तू भर उडान..तू भर उडान !!
तू रख दे उस धरातल पर कदम,
जो है तेरे सपनो का शहर,
तू पा ही लेगी ओ अपना लक्ष्य,
अन्न्तरमन ने है दी आवाज..
तू भर उडान..तू भर उडान !!
तुझमे है सच्चाई और लगन,
इच्छाशक्ति भी तेरी लगती है प्रबल,
मन की तू लगती है अडिग ,
होगा तेरा अब पुर्नजन्म ,
अन्न्तरमन ने है दी आवाज..
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1 टिप्पणी:
Very Nice
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