SHILPI BLOG |
राही क्यों थक गया है?
किस मोड़ पर खड़ा है?
आगे है तेरी मंजिल पीछे क्यू रुक गया है?
माना है दूर मंजिल ,कठिनाइयां बड़ी है, लेकिन क्या तुझमे हौसले की कमी है?
ना छोड़ तू दामन अपने हौसले का ,
बेबाक बढ़ता जा,
तू सिकंदर है अपने रास्ते का,
रास्ते के कांटे तू खुद निकाल लेना,
गर्दिशों में तारे फिर खुद चमक उठेंगे,
उबरेगा जब तू इन झंझावतो से,
देखेगा तेरी मंजिल तेरे करीब होगी,
मंजिल से राही की दूरी अब न होगी,
हासिल भी कुछ होगा,
अधूरी भी कुछ रहेगी,
ये जिंदगी का फलसफा चलता यूही रहेगा,
ना राही रुका है न जिंदगी रुकेगी।।
SHILPI..
7 टिप्पणियां:
Nice...
so beauty ...dil se dil ko!!
so beauty ...dil se dil ko!!
Very good silpi ...nice one again...keep it up
Nice di 😊
Nice poem
motivated poetry... awesome
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